श्री राम जी की स्तुति: श्री राम नवमी, विजय दशमी, सुंदरकांड, रामचरितमानस कथा, श्री हनुमान जन्मोत्सव और अखंड रामायण के पाठ में विशेष रूप से पढ़ी जाने वाली पवित्र वंदना है - "श्री रामचंद्र कृपालु भज मन, हरन भवभय दारुणम्"। यह वंदना भगवान राम की कृपा और उनकी शक्ति को दर्शाती है। आइए पढ़ते हैं श्री राम स्तुति लिखित हिंदी में।
श्री रामचंद्र स्तुति हिंदी में
।। दोहा ।।
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन, हरण भाव भय दारुणम् ।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम् ।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम् ।
पट्टीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम् ।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम् ।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम् ।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं ।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम् ।
मम हृदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम् ।।
।। छंद ।।
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों ।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो ।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली ।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली ।।
।। सोरठा ।।
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे ।।
रचयिताः गोस्वामी तुलसीदास जी
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