संकटमोचन हनुमानाष्टक पाठ - Sankat Mochan Hanuman Ashtak Lyrics in Hindi

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संकटमोचन हनुमानाष्टक

मत्तगयन्द छन्द
बाल समय रबि भक्षि लियो तब
तीनहुँ लोक भयो अँधियारो ।

ताहि सों त्रास भयो जग को
यह संकट काहु सों जात न टारो ॥

देवन आनि करी बिनती तब
छाँड़ि दियो रबि कष्ट निवारो ।

को नहिं जानत है जग में कपि
संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥

बालि की त्रास कपीस बसै गिरि
जात महाप्रभु पंथ निहारो ।

चौंकि महा मुनि साप दियो तब
चाहिय कौन बिचार बिचारो ॥

कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु
सो तुम दास के सोक निवारो । को०-२ ।

अंगद के सँग लेन गये सिय
खोज कपीस यह बैन उचारो ।

जीवत ना बचिहौ हम सो जु
बिना सुधि लाए इहाँ पगु धारो ॥

हेरि थके तट सिंधु सबै तब लाय
सिया-सुधि प्रान उबारो । को०-३ ॥

रावन त्रास दई सिय को सब
राक्षसि सों कहि सोक निवारो ।

ताहि समय हनुमान महाप्रभु
जाय महा रजनीचर मारो ॥

चाहत सीय असोक सों आगि सु
दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो । को०-४ ॥

बान लग्यो उर लछिमन के तब
प्रान तजे सुत रावन मारो ।

लै गृह बैद्य सुषेन समेत
तबै गिरि द्रोन सु बीर उपारो ॥

आनि सजीवन हाथ दई तब
लछिमन के तुम प्रान उबारो । को०-५ ॥

रावन जुद्ध अजान कियो तब
नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।

श्रीरघुनाथ समेत सबै दल
मोह भयो यह संकट भारो ॥

आनि खगेस तबै हनुमान जु
बंधन काटि सुत्रास निवारो । को०-६ ॥

बंधु समेत जबै अहिरावन
लै रघुनाथ पताल सिधारो ।

देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि
देउ सबै मिलि मंत्र बिचारो ॥

जाय सहाय भयो तब ही
अहिरावन सैन्य समेत सँहारो । को०-७ ॥

काज किये बड़ देवन के तुम
बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।

कौन सो संकट मोर गरीब को
जो तुमसों नहिं जात है टारो ॥

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु
जो कछु संकट होय हमारो ॥ को०-८ ॥

दो०- लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लँगूर ।
बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ॥

।। इति संकटमोचन हनुमानाष्टक सम्पूर्ण ।।

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