संतोषी माता की उपासना के लिए सर्वोत्तम दिन शुक्रवार को माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि माँ संतोषी की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को धन से जुड़ी सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। और इस दिन विशेष रूप से यानि कि शुक्रवार की शाम को माँ संतोषी की आरती और पूजा को पूरी श्रद्धा भाव के साथ विधि विधान से करनी चाहिए । आईए पढ़ें आरती संतोषी माता की लिखित में ।।
अपने सेवक जन को, सुख सम्पत्ति दाता ।।
जय सन्तोषी माता...।।
सुन्दर चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हों ।
हीरा पन्ना दमकें, तन श्रृंगार लीन्हों ।।
जय सन्तोषी माता...।।
गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे ।
मन्द हंसत करूणामयी, त्रिभुवन मन मोहे ।।
जय सन्तोषी माता...।।
स्वर्ग सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे ।
धूप दीप मधु मेवा, भाग धरे न्यारे ।।
जय सन्तोषी माता...।।
गुण अरू चना परमप्रिय, तातें माँ संतोष कियो ।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो ।।
जय सन्तोषी माता...।।
शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सो ही ।
भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही ।।
जय सन्तोषी माता...।।
मंदिर जगमग ज्योति मंगल ध्वनि छाई ।
विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई ।।
जय सन्तोषी माता...।।
भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै ।
जो मन बसै हमारे, इच्छा फल दीजै ।।
जय सन्तोषी माता...।।
दुःखी दरिदी रोगी, संकट मुक्त किए ।
बहु धन-धान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए ।।
जय सन्तोषी माता...।।
ध्यान धर्यो जिस नर ने, मन वांछित फल पायो ।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनंद आयो ।।
जय सन्तोषी माता...।।
शरण गहे की लज्जा, रखियो जगदम्बे ।
संकट तू ही निवारे, दयामयी माँ अम्बे ।।
जय सन्तोषी माता...।।
संतोषी मां की आरती, जो कोई नर गावे ।
ऋद्धि-सिद्धि सुख सम्पत्ति जी भर के पावे ।।
जय सन्तोषी माता...।।
जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन को, सुख सम्पत्ति दाता ।।
जय सन्तोषी माता...।।
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