संकटा माता की आरती लिरिक्स - Sankata Mata Aarti Lyrics

यह आरती विशेष रूप से कठिन परिस्थितियों में की जाती है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और भक्त को मानसिक शांति प्राप्त होती है।

यदि कोई व्यक्ति माँ संकटा की आरती प्रतिदिन पूरे श्रद्धा भाव से करता है, तो माँ संकटा उससे प्रसन्न होती हैं और उस पर तथा उसके परिवार पर अपनी कृपा बनाए रखती हैं, साथ ही जीवन में आने वाले सभी संकटों को दूर कर देती हैं।

माँ संकटा अपने भक्तों पर आने वाले संकटों से बचाती हैं और उनके जीवन का मार्ग सुगम बनाती हैं। इस प्रकार, माँ संकटा की प्रतिदिन आरती करने से माँ अपने भक्तों के जीवन को आसान बना देती हैं। तो आइए, हम माँ संकटा की आरती को हिंदी और सरल भाषा में पढ़ें।

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।। संकटा माता जी की आरती ।।

जय जय संकटा भवानी, करहूं आरती तेरी ।
शरण पड़ीं हूं तेरी माता, अरज सुनहूं अब मेरी ।।
।। जय जय संकटा भवानी...।।

नहि कोउ तुम समान जग दाता, सुर नर मुनि सब टेरी ।
कष्ट निवारण करहूं हमारा, लावहु तनिक ना देरी ।।
।। जय जय संकटा भवानी...।।

काम क्रोध अरु लोभन के वश, पापहि किया घनेरी ।
सो अपराधन उर में आनहु, छमहु भूल बहु मेरी ।।
।। जय जय संकटा भवानी...।।

हरहुं सकल संताप ह्रदय का, ममता मोह निबेरी ।
सिंहासन पर आज विराजे, चंवर ढूंरै सिर छत्र छतेरी ।।
।। जय जय संकटा भवानी...।।

खप्पर खड्ग हाथ में धारे, वह शोभा नहिं कहत बनेरी ।
ब्रम्हादिक सुर पार न पाये, हारि थके हिय हेरी ।।
।। जय जय संकटा भवानी...।।

असुरन्ह का बध किन्हा, प्रकटेउ अमत दिलेरी ।
संतन को सुख दियो सदा ही, टेर सुनत नहिं कियो अबेरी ।।
।। जय जय संकटा भवानी...।।

गावत गुण गुण निज हो तेरी, बजत दुदुभी भेरी ।
अस निज जानि शरण में आयऊं, टेहि कर फल नहिं कहत बनेरी ।।
।। जय जय संकटा भवानी...।।

जय जय संकटा भवानी, करहूं आरती तेरी ।
भव बंधन में सो नहिं आवै, निशदिन ध्यान धरीरी ।।
।। जय जय संकटा भवानी...।।

जय जय संकटा भवानी, करहूं आरती तेरी ।
शरण पड़ीं हूं तेरी माता, अरज सुनहूं अब मेरी ।।
।। जय जय संकटा भवानी...।।

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