दीपावली की आरती: प्राचीन समय से ही दीवाली का त्यौहार हर वर्ष बड़े ही उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर धन और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी और रिद्धि सिद्धि के दाता भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही, घरों में दीप जलाए जाते हैं और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा और आरती की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। आइए पढ़ते हैं श्री गणेश भगवान की आरती, माँ लक्ष्मी और सरस्वती माता जी की आरती लिखित में।
दीपावली की आरती: श्री गणेश जी, माँ लक्ष्मी और सरस्वती माता की आरती लिखित रूप में:
*श्री गणेश जी की आरती*
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ।। जय गणेश ।।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा ।
लडुअन को भोग लगे, सन्त करे सेवा ।। जय गणेश ।।
एक दन्त दयावन्त चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे मूष की सवारी ।। जय गणेश ।।
अन्धन को आँख देत, कोढ़िन को काया ।
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ।। जय गणेश ।।
दीनन की लाज राखो शम्भु सुतवारी ।
कामना को पूरा करो जाऊँ बलिहारी ।। जय गणेश ।।
सूर श्याम शरण आये सुफल कीजे सेवा ।
रिद्धि देत सिद्धि देत बुद्धि देत देवा ।। जय गणेश ।।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ।। जय गणेश ।।
*माँ लक्ष्मी की आरती*
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निस दिन सेवत, मैया जी को निस दिन सेवत,
हरि विष्णु विधाता, ।। ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता, मैया तुम ही जग माता । सूर्य चन्द्रमा ध्यावत, सूर्य चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ।। ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख संपति दाता, मैया सुख संपति दाता । जो कोई तुमको ध्यावत, जो कोई तुमको ध्यावत,
रिद्धि सिद्धि धन पाता।। ।। ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता, मैया तुम ही शुभ दाता ।
कर्म प्रभाव प्रकाशनी, कर्म प्रभाव प्रकाशनी,
भवनिधि की त्राता ।। ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
जिस घर में तुम रहती, तह सद्गुण आता, मैया तह सद्गुण आता ।सब संभव हो जाता, सब संभव हो जाता,
मन नहीं घबराता, ।। ।। ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान पान का वैभव, खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ।। ।।ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता, मैया क्षीरोदधि जाता ।रत्न चतुर्दश तुम बिन, रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता।। ।।ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
श्री महालक्ष्मी की आरती, जो कोई जन गाता, मैया जो कोई जन गाता ।
उर आनंद समाता, उर आनंद समाता,
पाप उतर जाता ।। ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निस दिन सेवत, तुमको निस दिन सेवत,
हरि विष्णु विधाता, ।। ।। ॐ जय लक्ष्मी माता...।।
*सरस्वती माता की आरती*
आरती कीजे सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि की । ।टेक।
जाकी कृपा कुमति मिट जाए, सुमिरण करत सुमति गति आये।
शुक सनकादिक जासु गुण गाये, वाणि रुप अनदि शक्ति की ।।
आरती कीजे सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की ।।
नाम जपत भ्रम छूट दिए के, दिव्य दृष्टि शिशु उधर हिए के।
मिलहिं दर्श पावन सिय पिय के, उड़ाई सुरभि युग युग कीर्ति की ।। आरती कीजे सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की ।।
रचित जासु बल वेद पुराणा, जेते ग्रन्थ रचित जगनाना।
तालु छन्द स्वर मिश्रित गाना, जो आधार कवि यति सति की ।। आरती कीजे सरस्वती की, जननि विद्या बुद्धि भक्ति की।
सरस्वती की वीणा वाणी कला जननि की।
आरती कीजे सरस्वती की जननि विद्या बुद्धि भक्ति की ।।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता ।।
या वीणावरदण्डमण्डि तकरा या श्वेतपद्मासना
या ब्रह्मच्युतशंकरप्रभृतिभिदेवैः सदा बंदिता।
सा माम पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा ।।
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