होली की आरती

भगवान नृसिंह द्वारा भक्त प्रह्लाद की रक्षा और बुराई पर अच्छाई की जीत की याद में हर साल होली का त्योहार मनाया जाता है, जो भगवान की शक्ति और भक्ति की जीत का प्रतीक है।

होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय, भक्त प्रह्लाद की रक्षा और होलिका के दहन की याद में मनाया जाता है, जो सच्चाई और न्याय की जीत का प्रतीक है। आइए पढ़ते हैं होली पर भगवान नरसिंह की आरती लिखित रूप में।

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होली की आरती: होली पर भगवान नृसिंह की आरती

ॐ जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे।
स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे,
जनका ताप हरे ।। ॐ जय नरसिंह हरे..।।

तुम हो दिन दयाला, भक्तन हितकारी, प्रभु भक्तन हितकारी ।
अद्भुत रूप बनाकर, अद्भुत रूप बनाकर,
प्रकटे भय हारी ।। ॐ जय नरसिंह हरे..।।

सबके ह्रदय विदारण, दुस्यु जियो मारी, प्रभु दुस्यु जियो मारी । दास जान आपनायो, दास जान आपनायो,
जनपर कृपा करी ।। ।। ॐ जय नरसिंह हरे..।।

ब्रह्मा करत आरती, माला पहिनावे, प्रभु माला पहिनावे ।
शिवजी जय जय कहकर, शिवजी जय जय कहकर,
पुष्पन बरसावे ।। ओम जय नरसिंह हरे...।।

ॐ जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे।
स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे,
जनका ताप हरे ।। ॐ जय नरसिंह हरे..।।

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