सोमवार की आरती लिरिक्स - Somvar Ki Aarti Lyrics
सोमवार शिव जी की आरती
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्धांगी धारा ॥
।। ॐ जय शिव ओंकारा...।।
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥
।। ॐ जय शिव ओंकारा...।।
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥
।। ॐ जय शिव ओंकारा...।।
अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै, भाले शशिधारी ॥
।। ॐ जय शिव ओंकारा...।।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
।। ॐ जय शिव ओंकारा...।।
कर के मध्य कमंडल चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥
।। ॐ जय शिव ओंकारा...।।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥
।। ॐ जय शिव ओंकारा...।।
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ।।
।। ॐ जय शिव ओंकारा...।।
👇जोड़ना👇
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ।
पार्वती अर्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥
।। ॐ जय शिव ओंकारा...।।
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ॥
।। ॐ जय शिव ओंकारा...।।
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥
।। जय शिव ओंकारा...।।
काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥
।। ॐ जय शिव ओंकारा...।।
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्धांगी धारा ॥
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