सुनो सुनो सुनो ध्यान से सुनो,
सुनो सुनो सुनो गांव वालों ध्यान से सुनो,
अरे गली गली और गांव शहर में,
अरे पीटो आज ढिंढोरा रे,
अरे गली गली और गांव शहर में,
अरे पीटो आज ढिंढोरा,
अरे डूब गयो पानी में देखो पार्वती को छोरा,
हे डूब गयो पानी में देखो पार्वती को छोरा,
गली गली और गांव शहर में,
गली गली और गांव शहर में,
पीटो आज ढिंढोरा रे,
अरे डूब गयो पानी में देखो पार्वती को छोरा,
ए भईया डूब गयो पानी में देखो पार्वती को छोरा,
एक समय कार्तिक और गजानन गए थे गंगा नहाने,
सुनो लाल जल में न जाना मना किया था मां ने,
कंचन जल माता गंगा का,
कंचन जल माता गंगा का,
जैसे कांच कटोरा रे,
डूब गयो पानी में देखो पार्वती को छोरा,
ए दादा डूब गयो पानी में देखो पार्वती को छोरा,
माता पार्वती दोनो से ऐसे हंस के बोली,
सुनो लाल तुम सम्हल सम्हल के खेलों आंख मिचौली,
दोनों लाल लगे अति सुंदर,
दोनों लाल लगे अति सुंदर,
एक सांवला एक गोरा रे,
अरे डूब गयो पानी में देखो पार्वती को छोरा,
ए भईया डूब गयो पानी में देखो पार्वती को छोरा,
गणपति गुम हो गए गंगा में पहुंच गए पाताल,
रो रो कहन लगी गौरा जी डूब गाओ मेरो लाल,
दोनों है मेरी आंखो के तारे,
दोनों है मेरी आंखो के तारे,
जैसे चांद चकोरा रे,
अरे डूब गयो पानी में देखो पार्वती को छोरा,
अरे अरे डूब गयो पानी में देखो पार्वती को छोरा,
ध्यान लगा के देखो स्वामी कहा गया मेरा लाल,
शिव ने फेंका गंगा जल में मछवारे का जाल,
फस के आ गए तुरत गजानन,
फस के आ गए तुरत गजानन,
मगन हुआ मन मोरा,
डूब गयो पानी में देखो पार्वती को छोरा,
अरे अरे डूब गयो पानी में देखो पार्वती को छोरा,
गली गली और गांव शहर में,
गली गली और गांव शहर में,
पीटो आज ढिंढोरा रे,
अरे डूब गयो पानी में देखो पार्वती को छोरा,
ए भईया डूब गयो पानी में देखो पार्वती को छोरा,
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